हाइलाइट्स
हर साल 7 मई को वर्ल्ड लाफ्टर डे मनाया जाता है. यह बताता है कि हंसी कीमती है.
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि मुस्कुराने और हंसने में सेहत का खजाना छुपा है.
Laughing and Smile: कुछ लोग होते हैं जो छोटी छोटी बातों पर भी खुलकर हंसते हैं. जबकि कई लोगों को आपने देखा होगा कि बड़ी से बड़ी हंसी की बात पर भी वे बस मुस्कुरा देते हैं. कुछ लोगों को कभी हंसी ही नहीं आती. वैसे हंसना सामान्य जीवन की सबसे जरूरी और नियमित गतिविधियों में से एक है. इसे खूबसूरती का पर्याय भी माना गया है तभी तो हंसी को लेकर कितनी कविताएं, गीत और शेरो-शायरी रचे गए हैं लेकिन आज वर्ल्ड लाफ्टर डे 2023 पर हम आपको बताने जा रहे हैं हंसी का सुंदरता के अलावा सेहत के लिए क्या महत्व है? इसके साथ ही यह भी बताने जा रहे हैं जोर-जोर से हंसने और मंद-मंद मुस्कुराने में कौन सा तरीका हेल्थ के लिए ज्यादा फायदेमंद है?
दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज (IHBAS) के मनोचिकित्सा विभाग में उप चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर ओम प्रकाश कहते हैं कि जैसे-जैसे जीवनशैली में बदलाव हुआ है लोगों के हंसने का तरीका भी बदल गया है. अक्सर लोगों के साथ ऐसा हो रहा है कि वे कई-कई दिनों तक किसी बात पर हंसते नहीं हैं, खुश नहीं होते हैं या मुस्कुराए भी नहीं होते.
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युवाओं से लेकर सभी उम्र में बढ़ते तनाव और अवसाद की वजह से भी लोग हंसना भूल जाते हैं. वे अन्य गतिविधियों में लगे रहते हैं. हालांकि हंसना या मुस्कुराना एक उपचार है. समझने की जरूरत है कि यहां हंसने-मुस्कुराने का मतलब किसी बात पर जोर-जोर से हंसने से नहीं है बल्कि खुशी को पहचानने या खुश होने से है.
आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
कितने प्रकार की होती है हंसी
डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि नेचुरल लाइटिंग और आर्टिफिशियल लाइटिंग की तरह ही हंसी भी होती है. प्राकृतिक रोशनी में सूरज की किरणें पड़ती हैं तो उससे सुकून मिलता है. आर्टिफिशियल लाइटिंग में आप कितनी भी रोशनी कर दीजिए, उसका अहसास अलग होगा. ठीक इसी तरह हंसना दो तरह का होता है. पहला जिसमें किसी बात पर स्वत: अंदर से खुशी होती है और हंसी आती है. दूसरी हंसी होती है, हंसने की प्रक्रिया करना, मान लीजिए आप पार्क में सुबह गए, वहां योग-व्यायाम किया और 10 प्रकार की हंसी हंसकर आप वापस आ गए.
डॉ. कहते हैं कि आर्टिफिशियल तरीके से जोर-जोर से हंसने पर संभव है कि शरीर की मसल्स एक्टिव हों, चित्त को आराम मिले, थोड़े समय के लिए दिमाग शांत हो जाए लेकिन जब तक नेचुरल तरीके से आप नहीं हंसेंगे या मुस्कुराएंगे तब तक पूरी तरह हीलिंग नहीं होगी.
हंसना या मुस्कुाराना, किसमें है सेहत का खजाना?
डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि मुस्कुराहट अंदर से आती है. वह कोई मूवी देखते हुए, मनपसंद खाना खाते हुए, मनपसंद व्यक्ति से बात करते हुए, कुछ खेलते हुए, कहीं घूमते हुए या कुछ पढ़ते हुए भी आ सकती है. ये अंदर की हंसी होती है जो मन, चित्त और आत्मा को अंदर से प्रसन्न करती है. अकेले में भी मंद मंद मुस्कुराना किसी भी मानसिक अवसाद, तनाव या एंग्जाइटी को दूर भगाने की ताकत रखता है. हालांकि फेक स्माइल या मुस्कुराहट भी होती है, जो फेक हंसी की तरह ही कारगर नहीं है.
वहीं अगर जोर-जोर से हंसने की बात है तो अगर नेचुरल तरीके से खुलकर हंसी आ रही है तो यह बेहद फायदेमंद है, ये अंतर्मन को खुश करने के साथ ही शरीर के लिए भी कार्डियो एक्सरसाइज की तरह काम करती है और करीब 40 कैलोरी बर्न करने की क्षमता रखती है लेकिन अगर फेक या झूठ में आप जोर-जोर से हंस रहे हैं तो संभव है कि उस वक्त आप खुशी के बजाय दर्द भी महसूस कर रहे हों, इसके साथ ही वह आपको अंदर से खुशी न दे पाए, क्योंकि आंतरिक रूप ये आनंद में रहना ज्यादा जरूरी है.
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FIRST PUBLISHED : May 07, 2023, 14:11 IST