हाइलाइट्स
डायलिसिस पर रहते हुए व्यक्ति की किडनी 15 साल तक भी काम कर सकती है.
एक्यूट किडनी फेल्योर में डायलिसिस के बाद भी किडनी सामान्य रूप से काम कर सकती है.
Dialysis: किडनी की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को लेकर अक्सर आपने सुना होगा कि फलां मरीज का डायलिसिस हो रहा है. हफ्ते में दो या तीन बार किडनी डायलिसिस के लिए अस्पताल ले जाते हैं. डायलिसिस के लिए एक दिन की भी देरी नहीं कर सकते, मरीज को परेशानी हो सकती है. किडनी फेल होने के बाद डायलिसिस मेडिकल साइंस की एक जरूरी प्रक्रिया है लेकिन क्या डायलिसिस के बाद किडनी ठीक हो जाती है? अगर डायलिसिस बंद कर दें तो क्या होगा? या फिर डायलिसिस कराने वाला मरीज कितने दिन तक जिंदा रह पाता है? इन सवालों के जवाब News18hindi से बातचीत में एम्स के विशेषज्ञ दे रहें हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में (AIIMS) में डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार अग्रवाल कहते हैं यह समझने वाली बात है कि डायलिसिस किडनी रोग का इलाज नहीं है, बल्कि जो काम शरीर में किडनी करती है, इसके काम न करने या बीमारी होने की स्थिति में डायलिसिस उस काम काम को करता है. अगर डायलिसिस बंद तो किडनी वाला काम बंद.
अब सवाल है कि क्या डायलिसिस के बाद किडनी ठीक हो जाती है तो ध्यान रहे कि डायलिसिस से किडनी पर कोई असर नहीं पड़ता, इलाज से किडनी ठीक होती है. हालांकि अगर एक्यूट किडनी फेल्योर है यानि किसी वजह से अचानक किडनी ने काम करना बंद कर दिया है और डायलिसिस देना पड़ रहा है तो वह इलाज से वापस ठीक हो सकती है लेकिन अगर क्रॉनिक किडनी फेल्योर है, किडनी ट्रांस्प्लांट नहीं की गई है और गुर्दे का डायलिसिस हो रहा है तो मेडिकल साइंस में अभी तक ऐसा नहीं हुआ कि क्रॉनिक डिजीज में डायलिसिस के बाद किडनी ठीक हो जाए और डायलिसिस हट जाए.
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डायलिसिस पर कितने दिन जिंदा रह सकता है मरीज?
डॉ. कहते हैं कि जहां तक ये सवाल है कि डायलिसिस के बाद मरीज कितने दिन तक जिंदा रह सकता है तो यह कई बातों पर निर्भर करता है. दिल्ली एम्स में ही ऐसे कई मरीज हैं जो पिछले 15-15 सालों से किडनी का डायलिसिस करा रहे हैं और जिंदा हैं. वहीं विदेशों में डायलिसिस पर जिंदा रहने की अवधि 20-25 साल भी है. हालांकि यह कई बातों पर निर्भर करता है.
इन 3 बातों पर निर्भर है मरीज का जीवन
मरीज की मेडिकल स्थिति- डॉ. संजय अग्रवाल कहते हैं कि अगर क्रॉनिक किडनी डिजीज है और किडनी डायलिसिस पर आ गई है तो डायलिसिस का बंद हो पाना संभव नहीं है. हालांकि एक्यूट किडनी फेल्योर में ऐसा नहीं है. ऐसे में डायलिसिस के बाद मरीज कितना जीएगा यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मरीज को कोई हार्ट की या अन्य कोई बीमारी तो नहीं है, यह अलग-अलग लोगों में अलग प्रकार से असर दिखा सकता है.
फाइनेंशियल हालात- मेडिकल कंडीशन को छोड़ दें तो जो दो जरूरी चीजें हैं उनमें से पहली है आर्थिक स्थिति. अगर मरीज बिना किसी फाइनेंशियल परेशानी के नियमित डायलिसिस और इलाज ले रहा है तो उसको खास दिक्कत नहीं होगी. वह लंबे समय तक डायलिसिस पर जिंदा रह सकेगा. बस डायलिसिस का नियमित होना जरूरी है.
मरीज की इच्छा-शक्ति- डॉ. संजय कहते हैं कि अगर मरीज की इच्छा शक्ति मजबूत है. उसको यह स्वीकार करना पड़ेगा कि हफ्ते में 3 दिन उसे डायलिसिस कराने अस्पताल जाना है, पांच घंटे की डायलिसिस की लंबी प्रकिया से गुजरना है और यह क्रम सालों तक चलना है. अगर वह इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहा है, परेशान हो रहा है और इसे एक बोझ की तरह लेता है तो यह इलाज में मुश्किल पैदा करता है.
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Tags: Kidney, Kidney disease, Kidney donation
FIRST PUBLISHED : May 06, 2023, 16:46 IST