विधानसभा में बोलते सीएम भगवंत मान।
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पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन बुधवार को अमृतपाल व उसके साथियों पर हालिया कार्रवाई के चलते सूबे में उत्पन्न हालात को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने सूबे की कानून-व्यवस्था पर तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए काम रोको प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि इस मामले पर चर्चा शून्यकाल के दौरान की जा सकती है। कांग्रेसी सदस्य तुरंत चर्चा की मांग पर अड़े रहे और करीब 45 मिनट तक वेल में नारेबाजी के बाद वॉकआउट कर गए।
विधानसभा में दिवंगत पूर्व विधायक बलदेव सिंह भट्टी को श्रद्धांजलि देने के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, प्रताप बाजवा व अन्य कांग्रेस विधायकों ने सदन में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर बहस कराने की मांग की लेकिन स्पीकर द्वारा बाजवा के काम रोको प्रस्ताव को नामंजूर कर दिए जाने पर कांग्रेसी विधायक आप सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए।
सदस्य अमृतपाल मामले में जारी कार्रवाई पर भी चर्चा की मांग कर रहे थे। इस दौरान स्पीकर ने सदस्यों को अपनी सीटों पर जाने के लिए कहा गया, लेकिन कांग्रेसी सदस्य वेल में डटे रहे और काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा की मांग करते रहे। कांग्रेस विधायक राजा वड़िंग ने भी स्पीकर से मांग की कि वह सदन में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाने की आज्ञा दें। नारेबाजी के बीच करीब 45 मिनट तक सदन में कांग्रेस और स्पीकर के बीच बहस चलती रही। स्पीकर बार-बार सदस्यों से अपनी सीटों पर जाकर बैठने की अपील करते रहे। इसके बाद कांग्रेसी सदस्य वाॅकआउट कर गए।
इससे पहले, सदन में हंगामे के दौरान कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का कैबिनेट मंत्री इंदरबीर सिंह निज्जर ने जवाब दिया। उन्होंने हंगामे के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल पहले तो अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे लेकिन जब सरकार ने कार्रवाई कर दी है तो यह पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। पक्ष हो या विपक्ष सभी को इस कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए। पंजाब के 99 फीसदी लोग इससे खुश हैं।
पहले ही तैयार कर ली थी रणनीति
भगवंत मान सरकार को इस बात की पहले से आशंका थी कि विपक्ष सदन में अमृतपाल के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का मुद्दा उठाएगा। दरअसल इस संबंध में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा स्पीकर को काम रोको प्रस्ताव दिया गया था इसीलिए बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सत्ता पक्ष ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ छेड़े अभियान को लेकर विपक्ष के हमलों से निपटने की तैयारी कर ली थी। मुख्यमंत्री ने विधानसभा परिसर में ही अपने मंत्रियों और विधायकों की बैठक बुलाकर रणनीति तय कर ली थी। उसी पर चलते हुए कांग्रेस के हंगामे के दौरान केवल एक मंत्री ने सदन में जवाब दिया, जबकि अन्य सदस्य बहुत अधिक आक्रामक नहीं हुए।
निर्दोष सिख युवकों पर एनएसए लगाना निंदनीय: शिअद
शिरोमणी अकाली दल (शिअद) के विधायक दल के नेता मनप्रीत सिंह अयाली ने बुधवार को विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन राज्य में निर्दोष सिख युवकों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने और उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की कड़ी निंदा की।
शून्यकाल के दौरान अयाली ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्दोष सिख नौजवानों पर एनएसए जैसे दमनकारी कानूनों के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं, जो उनके भविष्य को बर्बाद कर देगा। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में डर का माहौल पैदा हो गया है और लोगों को लग रहा है कि इतिहास दोहराया जा रहा है। सिख समुदाय द्वारा पहले झेली गई पीड़ा से कोई सबक नहीं सीखा गया है। अयाली ने मांग की कि सभी निर्दोष नौजवानों को झूठे मामलों से तुरंत आजाद किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके हलके के कुछ युवकों को भी गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि गलत काम करने वालों से कानून के दायरे में निपटा जाना चाहिए।
अकाली नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार से नागरिकों की आजादी का दमन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से नागरिकों की आजादी का दमन किया जा रहा है, उससे दुनिया भर के पंजाबी परेशान हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करके राज्य में शांति सुनिश्चित करनी चाहिए