एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) एक कॉमन एंटीबायोटिक है. इसका इस्तेमाल तमाम बीमारियों के उपचार में किया जाता है. सर्दी-जुकाम-बुखार से लेकर क्रोनिक डिजीज तक में. लेकिन जागरूकता के अभाव में इसका बहुत गलत इस्तेमाल हो रहा है. इसी चीज को समझने के लिए हमने रांची स्थित सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल मेडिका के मेडिकल डायरेक्टर और डायरेक्टर क्रिटिकल केयर डॉ. विजय मिश्रा से बात की और पूछा कि सीजनल सर्दी-जुकाम और बुखार में एंटीबायोटिक लेना चाहिए या नहीं. पढ़िए डॉ. विजय मिश्रा की सलाह-
सबसे जरूरी बात यह है कि एंटीबायोटिक का उपयोग केवल बैक्टेरियल इंफेक्शन में ही है. समाज में जो फ्लू होता है वो 90 फीसदी टाइम वायरल होता है. वह किसी भी तरह का वायरस- एंफ्लूएंजा, हिमोफिलस कोई भी हो सकता है. उसमें यह एंटीबायोटिक किसी भी तरीके से काम नहीं करता. अगर कोई लेता है तो उसे उसका कोई फायदा नहीं होता. अब सवाल है कि हम एंटीबायोटिक लेते क्यों हैं? लेते इसलिए हैं या फिर सर्दी-जुकाम में डॉक्टर भी सलाह दे देते हैं तो इसके पीछे का कारण यह है कि- वायरल इंफेक्शन का अपना एक कैरेक्ट है. कैरेक्टर यह है कि वह वायरस खुद पांच दिन, छह दिन या सात दिन में खुद खत्म हो जाता है. उसका रेप्लिकेशन साइकिल होता है, उस साइकिल के बाद वह खत्म हो जाता है. इस तरह वायरल इंफेक्शन में हमें कुछ करने की जरूरत नहीं. केवल हमें सिम्प्टमैटिक (Symptomatic) मैनेजमेंट करना होता है. यानी जब बुखार हो तो पैरासिटेमॉल (paracetamol) ले लिया. बदन दर्द कर रहा है तो ब्रूफेन (brufen) ले लिया. पानी पिया और रेस्ट किया. इस तरह यह अपने आप ठीक हो जाता है. यानी पांच से सात दिनों में यह ठीक हो जाता है.
फ्लू-वायरल में एजिथ्रोमाइसिन?
दुर्भाग्य यह है कि बिना प्रेस्क्रिप्शन या फिर प्रेस्क्रिप्शन के जरिए तमाम एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कॉमन हो गया है. इसमें एजिथ्रोमाइसिन बहुत कॉमन है. इसका फायदा कुछ नहीं है. अगर हम फ्लू में, वायरल में, अपर रेस्पेरिट्री इंफेक्शन में देखें तो नुकसान की लिस्ट काफी लंबी है. फायदा कुछ भी नहीं है. कंजेशन यानी सीने में कफ के जकड़न… किसी में भी इसकी जरूरत नहीं है.
कैसे पता चलेगा कि इंफेक्शन वायरल है या बैक्टेरियल?
इसका स्पष्ट जवाब है- जब बीमारी सीजनल हो. जैसे अभी सीजन चल रहा है. जब भी सीजन चेंज करता है. गर्मी से या बरसात से ठंड आती है तो टेंपरेचर डाउन होने के कारण हमारा रेस्पेरेट्री ट्रैक का जो सिस्टम है वो थोड़ा कंजेश यानी सिकुड़ जाता है. वह थोड़ा ठंडा भी हो जाता है. यह वायरस के ग्रोथ यानी उसके बढ़ने के लिए बहुत अच्छा मीडियम बन जाता है. यानी जो वायरस हमें कुछ नहीं करते थे वे मौसम चेंज होने के कारण अचानक हमें सर्दी-खांसी दे देते हैं. यह स्थिति उनके लिए एकदम आइडियल होता है और वे कई गुना तेजी से बढ़ते हैं. यहां आपको फिर ध्यान रखना है कि अगर यह इंफेक्शन वायरल है तो आपको कुछ नहीं करना है. केवल सिम्प्टमैटिक (Symptomatic) दवा लेनी है.
केवल 10 फीसदी में बैक्टेरियल इंफेक्शन का खतरा
तो पहली बात यह कि 90 फीसदी मामलों में इंफेक्शन वायरल होता है. दूसरी बात यह कि अगर दो-तीन दिन में अपके सिम्प्टम कमजोर नहीं पड़ते यानी पैरासिटेमॉल, पानी, रेस्ट के बावजूद आपको आराम नहीं मिलता तो बैक्टेरियल इंफेक्शन हो सकता है. अन्यथा, तीन दिन के बाद आपको सिम्प्टम कमजोर होता दिख जाएगा. अगर किसी को पांच दिन-छह दिन बाद भी आराम नहीं मिल रहा है और सिम्प्टम बढ़े जा रहे हैं तो बैक्टेरियल इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है. जैसा कि हमने कहा कि सीजनल सर्दी-जुकाम-बुखार के 90 फीसदी मरीज अगर रेस्ट करें, पूरा पानी पीएं और सिम्प्टमैटिक मेडिसीन लें तो वे तीन से पांच दिन में ठीक हो जाते हैं. केवल 10 फीसदी केस ऐसे होते हैं जिनमें एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती है. ये 10 फीसदी भी आम नहीं बल्कि हाई रिस्क वाले लोग होते हैं जैसे बेहद बुजुर्ग, गंभीर डायबिटिक मरीज, किडनी के मरीज जो डायलेसिस पर हैं, कैंसर के मरीज, बहुत छोटे बच्चे. ऐसे लोग एक-दो दिन से ज्यादा इंतजार न करें. वे अपने डॉक्टर के पास जाएं.
वायरल कभी बैक्टीरियल इंफेक्शन में कंवर्ट नहीं होता
यहां ध्यान देने की जरूरत है कि वायरल कभी बैक्टीरियल इंफेक्शन में कंवर्ट नहीं होता. ये 10 फीसदी लोगों को पहले से ही बैक्टेरियल इंफेक्शन रहा होगा तभी वे ठीक नहीं हुए. ऐसे मरीजों में एंटीबायोटिक देना ही पड़ेगा. इसका सबसे बेहतर तरीका है कि आपको जब भी सीजन में सर्दी-जुकाम-बुखार हो तो आप 3-4 दिन इंतजार कीजिए. बस ध्यान रखें कि सिम्प्टम तेजी से न बदल रहा हो. जैसे- आज बुखार आया 100 और कल यह अचानक 104- 105 हो जाए. एक चीज और ध्यान रखने की जरूरत है कि वायरल में भी फीवर बहुत हाई जाता है, लेकिन वह उतनी तेजी से उतरता भी है. बैक्टीरियल इंफेक्शन में ऐसा नहीं होता. अगर ऐसी स्थिति नहीं है तो घर पर ही सिम्प्टमैटिक मेडिसीन लीजिए. खूब पानी पीजिए और रेस्ट कीजिए. अगर 3-4 दिन में सुधार नहीं होता है तो जरूर डॉक्टर के पास जाइए. अपने से एंटीबायोटिक का सेवन गलती से भी न करें.
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Tags: Antibiotic resistance, Antibiotics, Generic medicines, Medicine
FIRST PUBLISHED : January 04, 2023, 19:42 IST