न्यूयार्क: यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर भारत ने एक बार फिर गहरी चिंता व्यक्त की है और इस दुश्मनी को तुरंत खत्म करने के साथ-साथ बातचीत और कूटनीति का रुख करने का आग्रह किया है. यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की वार्षिक चर्चा में बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि इंसान की जान की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है, हिंसा का बढ़ना किसी के लिए भी फायदेमंद साबित नहीं होता है.
नागरिकों और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हो रहे हमलों की रिपोर्टों पर चिंता जाहिर करते हुए राजदूत रुचिरा कंबोज ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चर्चित शब्दों को दोहराते हुए जोर देकर कहा, “यह युग युद्ध का नहीं है. इसी समझ और भावना के साथ भारत इस बहस में सक्रिय रूप से भाग लेता है.” कंबोज ने महासभा को बताया कि, भारत लगातार यूक्रेन के हालात को लेकर चिंतित है. इस संघर्ष ने लोगों की जान ली, हजारों लोगों को खासकर बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लाखों लोग बेघर होकर पड़ोसी मुल्कों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं.
यह चर्चा काला सागर अनाज सौदा, जिसे संयुक्त राष्ट्र अनाज समझौते के रूप में भी जाना जाता है, उससे रूस के बाहर निकलने के बाद हुई. दरअसल सोमवार को, रूस ने काला सागर अनाज सौदे को रद्द कर दिया, जिससे यूक्रेन से अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के क्षेत्रों में अनाज का प्रवाह प्रभावित हुआ है.
काला सागर अनाज समझौता
दुनिया में लगातार बढ़ रहे खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र और तुर्किये ने मध्यस्थता कर रूस को काला सागर अनाज समझौते के लिए राजी किया था. इसके बाद जुलाई 2022 में यह समझौता हुआ, जिसके तहत रूस ने यूक्रेन को तीन बंदरगाह चोर्नोमोर्स्क, पिवेडनी और ओडेसा से खाद्यान्न ले जा रहे जहाजों को जांच के बाद जाने की अनुमति दे दी थी. काला सागर में 310 नॉटिकल मील लंबा और 3 नॉटिकल मील चौड़ा एक सुरक्षित रास्ता तैयार किया गया था. अब तक इस समझौते की अवधि चार बार बढ़ाई जा चुकी है. अंतिम बार इसे 17 मई को 60 दिनों के लिए बढ़ाया गया था, जिसकी अवधि 17 जुलाई को खत्म हो गई है. अब रूस ने इसे रद्द करने का फैसला ले लिया है.
रूस का फैसला पैदा कर सकता है खाद्य संकट
इस कदम से कई क्षेत्रों में भूखमरी और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंताएं और बढ़ गई हैं. संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता में काला सागर अनाज सौदे ने यूक्रेन से अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के देशों तक खाद्य परिवहन को सुविधाजनक बनाने में अहम भूमिका निभाई है. अब इसके निलंबन से वैश्विक खाद्य संकट और गहरा गया है. संयुक्त राष्ट्र अनाज समझौते पर, राजदूत रुचिरा कंबोज कहा कि हाल के घटनाक्रम, जिससे शांति और स्थिरता जैसे बड़े मकसद को आघात पहुंचा है उसे लेकर भारत बेहद गंभीर और चिंतित है. उन्होंने कहा, “मैं यहां यह जोड़ना चाहूंगी कि भारत ने काला सागर अनाज सौदे को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रयासों का समर्थन किया है, और उम्मीद करते हैं कि वर्तमान गतिरोध का जल्दी ही कोई समाधान निकलेगा.”
किसी भी मतभेद का बातचीत ही एकमात्र हल
रुचिरा कंबोज ने कहा, “तमाम मतभेदों और विवादों से निपटने के लिए बातचीत ही एकमात्र तरीका हो सकता है, हो सकता है यह अभी मुश्किल लग रहा हो, शांति के लिए राह बनाने के लिए हमें हमें कूटनीति के सभी दरवाजे खुले रखने होंगे.” रूस-यूक्रेन संघर्ष के वर्तमान हालात पर, भारतीय दूत ने यूएनजीए को बताया कि यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जैसे-जैसे यूक्रेनी संघर्ष बढ़ा इसके साथ पूरी दक्षिणी दुनिया को भी पर्याप्त नुकसान पहुंचा है. उन्होंने जोर देकर कहा, “इसलिए यह अहम है कि दक्षिणी दुनिया की आवाज सुनी जाए और उनकी जायज चिंताओं का उचित समाधान निकाल जाए.”
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FIRST PUBLISHED : July 19, 2023, 14:44 IST