हाइलाइट्स
PLM के साइबर जासूस की जापान के अत्यधिक संवेदनशील कंप्यूटर सिस्टम तक व्यापक पहुंच
चीनी हैकरों की सेंधमारी से कथित तौर पर इस उल्लंघन के गंभीर प्रभाव भी पड़े
खुफिया जानकारी मिलने के बाद टोक्यो ने नेटवर्क सुरक्षा को मजबूत करने को किए थे उपाय
वॉशिंगटन. अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने बेहद ही चौंकाने और हैरान करने देने वाला बड़ा खुलासा किया है. द वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट में सुरक्षा एजेंसी ने दावा किया है कि जापान से संबंधित वर्गीकृत रक्षा नेटवर्क (Japan Sensitive Defence Networks) में चीनी सैन्य हैकरों (Chinese hackers) ने सेंध लगाई थी. जापान पूर्वी एशिया में संयुक्त राज्य अमेरिका का महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार माना जाता है. अमेरिका ने इस बात का खुलासा भी किया है कि रक्षा नेटवर्क में चीनी हैकरों की सेंधमारी से कथित तौर पर इसके गंभीर प्रभाव भी पड़े. दरअसल, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साइबर जासूस जापान के अत्यधिक संवेदनशील कंप्यूटर सिस्टम तक व्यापक पहुंच हासिल करने में कामयाब हो गए थे.
द वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार चीनी हैकरों ने नेटवर्क के भीतर एक गहरी उपस्थिति स्थापित की थी, जिसका उद्देश्य सैन्य योजनाओं, क्षमताओं और कमजोरियों के आकलन समेत किसी भी मूल्यवान जानकारी को हासिल करना प्रतीत होता था. तीन पूर्व वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने इस मामले का खुलासा किया है. जिन लोगों को इसके बारे में जानकारी दी गई उन्होंने इस घटना को अत्यधिक चिंताजनक माना.
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एक पूर्व अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा कि यह बुरा था, चौंकाने की हद तक बुरा था. टोक्यो ने अपनी नेटवर्क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उपाय किए थे. लेकिन बीजिंग से पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिलने की वजह से सभी प्रयास नाकाम रहे. इसकी वजह से जापान के रक्षा मंत्रालय और पेंटागन के बीच प्रभावी खुफिया जानकारी साझा करने में संभावित बाधाओं के बारे में चिंताएं बढ़ा दीं.
हैकिंग की इस घटना को जापान के आधुनिक इतिहास में सबसे हानिकारक साइबर हमलों में से एक माना गया जिससे जापानी अधिकारियों में गहरी चिंता है. मामले की जांच करने की उनकी प्रतिबद्धता के बावजूद इस तरह की भावना थी कि यह मुद्दा समय के साथ खत्म हो सकता है. खासकर जब आने वाले समय में बाइडन प्रशासन को कई जरूरी मामलों का सामना करना पड़ेगा
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 की घुसपैठ इतनी परेशान करने वाली थी कि एनएसए और यूएस साइबर कमांड के प्रमुख जनरल पॉल नाकासोन और मैथ्यू पोटिंगर, जो उस समय व्हाइट हाउस के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे, इतने चिंतित थे कि स्वयं प्रधानमंत्री को सचेत करने की व्यवस्था करने और टोक्यो में रक्षा मंत्री को इसकी जानकारी देने को दौड़ पड़े. जापानी अचंभित रह गए थे. लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि वे इस मामले पर गौर करेंगे.
जब ये सब हुआ तो वॉशिंगटन राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत का गवाह बन रहा था. जब बाइडन प्रशासन स्थापित हो गया, तो साइबर सुरक्षा और रक्षा अधिकारियों को अहसास हुआ कि समस्या बढ़ गई है. लेकिन बाइडन प्रशासन के अस्तित्व में होने के बाद भी चीनी साइबर खतरा कम नहीं हुआ था. हैकरों के पास अभी भी टोक्यो के नेटवर्क तक पहुंच थी जिससे साइबर सुरक्षा और रक्षा विशेषज्ञों को मुद्दे की गंभीरता का एहसास हुआ.
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी जांच के तहत जापान ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए. अगले 5 सालों में साइबर सुरक्षा बजट में 10 गुना बढ़ोतरी की और अपने सैन्य साइबर सुरक्षा बल का 4 गुना विस्तार कर 4,000 किया.
इससे पहले, पिछले साल, चीनी हैकरों ने कथित तौर पर देश की सुरक्षा प्रणालियों पर महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त करने के लिए 23 मार्च को रूस के कई सैन्य अनुसंधान और विकास संस्थानों में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को मैलवेयर लिंक के साथ ईमेल भेजे थे.
चेक प्वाइंट रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी जासूसी अभियान जुलाई 2021 की शुरुआत में शुरू हुआ था. इससे पहले कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. मार्च के ईमेल से पता चला कि चीन के हैकरों ने यूक्रेन में युद्ध के बारे में अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तेजी से इस पर काम किया.
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Tags: Chinese hacker, US News, World news in hindi
FIRST PUBLISHED : August 09, 2023, 13:19 IST