हाइलाइट्स
21 जुलाई को नासा का वॉयजर 2 से संपर्क स्थायी तौर पर कट गया था.
इसकी वजह से गलती से एक आदेश का जाना था जिससे यान का एंटीना मुड़ गया था.
अब शक्तिशाली ट्रांसमीटर से एंटीना सुधारने के आदेश पहुंचने से यह सफलता मिल सकी.
कुछ हफ्तों पहले ही अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का अपने एक प्रतिष्ठित यान वॉयजर 2 से संपर्क टूट गया था. इसके बारे में बताया जा रहा था कि वैसे तो कई तरह से वॉयजर 2 से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन उसे फिर से बहाल होने में समय लग सकता है. एक अनुमान में तो यह भी बताया गया था कि संपर्क बहाली की प्रक्रिया अक्टूबर से पहले शायद ही हो सके. फिर अचानक ही पर एक खबर आती है कि नासा का वॉयजर 2 से सम्पर्क बहाल हो गया लेकिन यह चमत्कार हो कैसे गया. क्या यह महज संयोग ही था या फिर नासा के सुनियोजित प्रयासों का नतीजा या कुछ और?
पहले क्या हो गया था?
नासा ने बताया था कि जब नासा पृथ्वी से वॉयजर 2 के रखरखाव के लिए वॉयजर 2 को आदेशों के संदेश भेज रहा था, तब उन्हीं में एक ऐसा आदेश भी चला गया था जिससे यान का एंटीना पृथ्वी से थोड़ी दूर मुड़ गया था. इससे एंटीना के दिशाविन्यास के केवल 2 प्रतिशत बदलाव आ गया और पृथ्वी स्थित कंट्रोल सेंटर से अंतरिक्ष यान से संपर्क पूरी तरह से और स्थाई तौर पर टूट गया.
राहत और खुशी दोनों
अब खुद नासा ने यह दावा करते हुए राहत और खुशी जाहिर की कि वॉयजर 2 के साथ अब सम्पर्क पूरी तरह से यानि स्थायी तौर पर बहाल हो गया है. नासा ने बताया कि उसने शक्तिशाली इंटरस्टेलर शाउट आदेश अंतरिक्ष में भेजा था जो वॉयजर तक पहुंच गया और उससे वॉयजर ने अपना एंटीना वापस पृथ्वी की ओर मोड़ दिया जिससे सम्पर्क बहाली संभव हो सकी.
उम्मीद से काफी जल्दी
नासा का यह भी कहना है कि उसे यह सफलता आशान्वित समय से काफी पहले मिल गई है. इससे पहले माना जा रहा था कि सम्पर्क बहाली में कम से कम 15 अक्टूबर तक का वक्त लगेगा. सम्पर्क टूटने के बाद नासा वॉयजर 2 और अपने डीप स्पेस नेटवर्क के संकेतों का आदान प्रदान नहीं कर पा रहा था. लेकिन शुक्रवार को नासा ने कहा कि उसका संपर्क बहाल हो गया है.
वॉयजर 2 यान फिलहाल सौरमंडल के बाहर अंतरतारकीय क्षेत्र में तेजी से विचरण कर रहा है. (तस्वीर: NASA)
कैसे हो पाई बहाली
वॉयजर 2 का संचालन करने वाली नासा की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) ने औपचारिक ऐलान करते हुए जानकारी दी कि वह यान को सही दिशा में निर्देश भेजने के लंबे प्रयास में सफल रही है. वॉयजर परियोजना प्रबंधक सुजैन डोड ने बताया कि वैज्ञानिकों ने डीप स्पेस नेटवर्क ने आदेश भेजने के लिए उच्चतम शक्ति के ट्रांसमीटर का उपयोग किया और साथ ही यह भी सुनिश्चित कया गया कि संकेत सबसे अच्छी परिस्थितियों के दौरान भेजा जाए जिससे वॉयजर का संकेत हासिल करना सुनिश्चित किया जा सके.
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पहले से सक्रिय किया हुआ था नेटवर्क
जब से वॉयजर 2 से संपर्क टूटा था तभी नासा के जेपीएल की टीम ने डीप स्पेस नेटवर्क को सम्पर्क बहाली के लिए विशेष रूप से सक्रिय कर दिया था. मंगलवार को इंजीनियरों को वॉयजर 2 से कुछ संपदन रूपी कमजोर संपर्क भी मिले थे लेकिन इससे किसी भी तरह का यह संकेत नहीं मिलता है कि स्थाई संपर्क बहाल हो गया है.

वॉयजर 2 ने अंतरिक्ष विज्ञान के लिए बहुत सारी अहम जानकारी जुटाई हैं. (तस्वीर: NASA)
कितना समय लगा
डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए जो इंटरस्टेर शाउट संकेतों के जरिए वॉयजर को अपने एंटीना की दिशा सुधारने के लगातार संकेत भेजे गए इन संकेतों को वॉयजर तक पहुंचने में 18.5 घंटे का समय लगा. जबकि पृथ्वी पर बैठे वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में, कि आदेश ने ठीक से काम किया या नहीं, 37 घंटे का समय लग गया. 4 अगस्त को वॉयजर ने लगातार आकंड़े भेजना शुरू किया तब पता चला कि वह संपर्क स्थायी रूप से बहाल हो गया है.
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अगस्त 1977 में प्रक्षेपित वॉयजर 2 अंतरिक्ष यान फिलहाल यह पूरी तरह से सक्रिय है और बहुत अच्छे से काम कर रहा है. दिसंबर 2018 को इस यान ने सौरमंडल का हेलियोस्पियर छोड़ दिया था जिससे यह औपचारिक तौर पर सौरमंडल के बाहर चला गया माना गया था. अभी यह 55345 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहा है, सौरमंडल छोड़ने से पहले इसने गुरु, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून ग्रह का अध्ययन किया था. अभी इस अभियान की मियाद 2026 तक में बढ़ाई गई है.
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Tags: Nasa, Research, Science, Solar system, Space
FIRST PUBLISHED : August 06, 2023, 10:06 IST