विजेंद्र गुप्ता, बीजेपी विधायक
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पूर्व नेता प्रतिपक्ष और भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के एक साल के लिए दिल्ली विधानसभा से निलंबित करने के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ के समक्ष गुप्ता की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने तत्काल सुनवाई का आग्रह किया। कोर्ट ने अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई कल होगी।
याचिका में गुप्ता ने तर्क दिया है कि स्पीकर का आदेश अन्यायपूर्ण, अनुचित है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा के प्रक्रिया और संचालन के नियमों का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया है।
एक साल की अवधि के लिए याचिकाकर्ता को सदन से निलंबित करने के प्रस्ताव को स्थानांतरित करने और आगे बढ़ने की अनुमति देने में माननीय अध्यक्ष की कार्रवाई अनियमित कार्यवाही की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती है, लेकिन वास्तव में अवैध और असंवैधानिक रूप में वर्गीकृत किए जाने का एक उत्कृष्ट मामला है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन।
गुप्ता ने आगे कहा कि आप सदस्यों का व्यवहार बहुत ही अव्यवस्थित था। पूरे दिन यानी 21 मार्च की कार्यवाही के अवलोकन से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि माननीय अध्यक्ष द्वारा सत्तारूढ़ दल के विधायकों और याचिकाकर्ता जो विपक्षी दल के सदस्य हैं उनके साथ अलग व्यवहार करने की कार्रवाई पूरी तरह से मनमानी है।
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने गुप्ता को अगले बजट सत्र तक सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोक दिया है। गोयल ने आप विधायक संजीव झा द्वारा गुप्ता के निलंबन के प्रस्ताव पर यह निर्णय लिया है। संझीव झा ने आरोप लगाया कि गुप्ता सदन की कार्यवाही में बार-बार बाधा डाल रहे है।
इससे पहले दिन गुप्ता ने वित्त मंत्री कैलाश गहलोत और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का प्रस्ताव करते हुए स्पीकर को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने बजट विवरण को सदन में पेश करने से पहले सोशल मीडिया पर लीक कर दिया था।