Earthquake : भूकंप के झटके महसूस होते ही सबसे पहले करें ये काम
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दिल्ली-एनसीआर सहित पूरा उत्तर भारत मंगलवार रात करीब साढ़े 10 बजे भूकंप के तेज झटकों से दहल गया। भारत में हर साल भूकंप के सैकड़ों झटके आते हैं। कुछ बेहद हल्के, कुछ मध्यम दर्जे के होते हैं। कुछ जमीन ज्यादा हिलाते हैं तो कुछ डरा देते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो ने पूरे देश को 5 भूकंप जोन में बांटा है। देश का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप रिस्क जोन में है। 5वें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय माना जाता है। धरती में कुल 7 प्लेट्स हैं और ये लगातार चलायमान रहती हैं। जहां प्लेट आपस में टकराती हैं, उन्हें फॉल्ट जोन कहा जाता है। प्लेट टकराने से निकलने वाली ऊर्जा से जो हलचल होती है वही भूकंप बन जाता है।
अफ्रीकी, अंटार्कटिक, यूरेशियन, इंडो-ऑस्ट्रेलियाई, उत्तरी अमेरिकी, प्रशांत और दक्षिण अमेरिकी सात प्रमुख प्लेटें हैं। टेक्टोनिक प्लेटें पृथ्वी की पपड़ी और ऊपरवाले मेंटल के विशाल टुकड़े हैं। ये समुद्री क्रस्ट और महाद्वीपीय क्रस्ट से बने हैं। भूकंप मध्य-महासागर की लकीरों और प्लेटों के किनारों को चिह्नित करने वाले बड़े दोषों के आसपास होते हैं। टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण पृथ्वी गतिशिल रहती है। टेक्टोनिक प्लेट्स मानचित्र से पता चलता है कि ज्वालामुखी और भूकंप कहां आए हैं। भूकंप का केंद्र सतह से जितना नजदीक होता है तबाही उतनी ज्यादा होती है।
यह हैं संवेदनशील माने गए पांच जोन
जोन 5 : यहां भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है। 5वें जोन में देश के कुल भूखंड का 11 फीसदी हिस्सा है। इसमें कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व, कच्छ का रण, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, असम, नागालैंड व मणिपुर हैं।
जोन 4 : इसमें मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश का बड़ा भाग, चंडीगढ़, उत्तरी पंजाब, उत्तराखंड का बड़ा हिस्सा, पश्चिमी-गुजरात, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके, महाराष्ट्र का लातूर-पाटन एरिया और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके हैं। यहां रुक-रुक कर भूकंप आते रहते हैं। इसमें देश का करीब 18 फीसदी हिस्सा है। एक ही राज्य के अलग-अलग इलाके अलग जोन में हैं।
जोन -3 और 2 : यहां भूकंप का खतरा कम है। भूकंप आते भी हैं तो जान-माल का ज्यादा नुकसान नहीं होता। इसमें केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी-राजेस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से हैं। जोन 2 में तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा के कुछ हिस्से हैं। तीसरे और दूसरे जोन में देश का करीब 30-30 फीसदी हिस्सा आता है।
जोन 1 : भूकंप के लिहाज से यह सबसे सुरक्षित हिस्सा है। इसमें पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से हैं। यह कुल 11 फीसदी भूभाग है।
दिल्ली हाई रिस्क सीस्मिक जोन में
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली हाई रिस्क सिस्मिक जोन में है इसलिए यहां भूकंप के तेज झटके महसूस किए जाते हैं। बढ़ती आबादी और एनसीआर में तेजी से बनती ऊंची इमारतों के कारण दिल्ली एनसीआर भूकंप की दृष्टि से और भी संवेदनशील हो गए हैं। दिल्ली तीन सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइंस पर स्थित है। इसमें सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन हैं। इसके अलावा गुरुग्राम भी सात सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जो दिल्ली के अलावा एनसीआर को भी खतरनाक क्षेत्र बनाता है।
5,000 से ज्यादा भूकंप का पता ही नहीं चलता
रिक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोज 5,000 से अधिक होती है। यह इंसानों को महसूस ही नहीं होते। 2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता वाले लगभग 800 से 1,000 झटके रोजाना रिक्टर पैमाने पर दर्ज किए जाते हैं। आमतौर पर यह भी महसूस नहीं होते हैं। इसी तरह से 3.0 से 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में करीब 25 से 30 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार यह महसूस होते हैं। 4.0 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप वर्ष-भर में करीब 4,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इसमें थरथराहट महसूस होती है।
- 5.0 से 5.9 तक की तीव्रता का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। भूकंप का क्षेत्र आबादी के आसपास है तो 5.9 तक की तीव्रता वाले भूकंप खतरनाक साबित होते हैं। 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाला भूकंप 160 किमी तक के दायरे में काफी घातक सिद्ध होता है।
- भूकंप से ऊपरी मंजिल को ज्यादा नुकसान होता है और नींव दरक सकती हैं। 7.0 से लेकर 7.9 तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है, जैसा हाल में तुर्किये और सीरिया में हुआ है। इतनी तीव्रता के झटकों से मजबूत इमारतें भी धराशायी हो जाती हैं। 8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकते हैं। सुनामी का भी खतरा होता है और बड़े-बड़े पुल जमींदोज हो जाते हैं।
- इसी तरह 9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में हाहाकार मचा सकता है। अगर भूकंप की तीव्रता 9 से ऊपर पहुंच जाए तो खड़े होने पर भी पृथ्वी हिलती हुई नजर आएगी। 6.0 से ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप के झटके साल में एकाध बार ही आते हैं।