नई दिल्ली: चीन तिब्बत क्षेत्र में बहुत तेजी से जनसांख्यिकीय (demographic) बदलाव लाने में जुटा हुआ है. चीन ना केवल इस विवादित क्षेत्र में चीनी श्रमिकों के प्रवास को बढ़ा रहा है बल्कि तिब्बत के विरोध को कमजोर करने के लिए यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश और शहरीकरण भी बहुत तेजी से करने में लगा है. चीन ने हाल ही में चेंगदू और ल्हासा को जोड़ने वाली हाबा स्नो माउंटेन रेलवे सुरंग परियोजना पूरी की है. युन्नान-तिब्बत रेलवे के लिजिआंग-शांगरी-ला खंड के साथ यह परियोजना नौ साल बाद पिछले सप्ताह पूरी हुई. चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसे “रणनीतिक रेलवे नेटवर्क के निर्माण में मील का पत्थर” बताया.
चीनी सेना की तैनाती के लिए नेटवर्क
हालांकि, तिब्बती लोगों का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में विकास से चीनी सेना को भी फायदा पहुंचेगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में चीनी सेना की तैनाती के लिए इस नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा. तिब्बत नीति संस्थान का कहना है कि चीन का मकसद तिब्बत पर सख्त नियंत्रण करना और तिब्बत की सीमाओं के भीतर और बाहर दोनों जगह तिब्बती प्रतिरोध को धीरे-धीरे कम करना और कमजोर करना है.
चीनियों के साथ अंतर्विवाह से तिब्बती संस्कृति पर खतरा
संस्थान ने कहा कि चीनी प्रवासी श्रमिकों की बढ़ती मौजूदगी और ल्हासा जैसे शहरों में तेजी से शहरीकरण के कारण तिब्बती और चीनी समुदायों के बीच अंतर्विवाह में बढ़ोतरी देखी गई है.अंतर्विवाहों की वजह से तिब्बतियों और चीनियों की संस्कृतियां, परंपराओं और रीति-रिवाजों में घुलमिल गई हैं. इसका नुकसान यह हो रहा है कि जहां एक तरफ इससे पारंपरिक तिब्बती सांस्कृतिक प्रथाओं और भाषा धीरे-धीरे खत्म हो रही है. वहीं चीनी प्रभाव अधिक प्रचलित होता जा रहा है.
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तिब्बत पर नियंत्रण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश
कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने 1990 के बाद से ही तिब्बत में इंफ्रास्ट्रक्चर में बेपनाह निवेश किया है, खास कर रेलवे, सड़क और एयरपोर्ट जैसी संपर्क से जुड़ी परियोजनाओं में खासा पैसा लगाया गया है. चीनी सरकार ने इसके अलावा जल-विद्युत परियोजना, शहरीकरण, खदान, पर्यटन, सेना और सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश किया है. चीन इन अहम इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को तिब्बत पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के तौर पर देखता है. एक ऐसा क्षेत्र जिसे गैरकानूनी रूप से आक्रमण और कब्जा करने वाला माना जाता है.
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Tags: China, Development, Tibet
FIRST PUBLISHED : July 11, 2023, 17:53 IST